
एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा,
बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा,
टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने,
अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा..
एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा,
बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा,
टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने,
अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा..