
1. ऐ नये साल बता कौन सी शय बदली है
रंज की शाम वही, दर्द के हालात वही...
2. होता अगर मुमकिन, तुझे साँस बना कर रखते सीने में,
तू रुक जाये तो मैं नही, मैं मर जाऊँ तो तू नही...
3. मेरी हर बात शुरू वहाँ से,
तेरे होने का एहसास जहाँ से...
4. मुकद्दर की लिखावट का एक ऐसा भी कायदा हो,
देर से क़िस्मत खुलने वालों का दुगुना फ़ायदा हो...
5. छोड़ दो उस को उसी के हाल पर,
इश्क़ में पड़ कर सँभलता कौन है...
6. बिगाड़ के रख देती है ज़िन्दगी का चेहरा,
ऐ इश्क़ तू बड़ी तेजाबी चीज़ है...
7. ले आओ ना टूटी छतरी,
मोहब्बत की बारिश में आधा आधा भिगेंगे...
8. जिनका मिलना मुकद्दर मे लिखा नही होता,
उनसे मुहब्बत कसम से कमाल की होती है...
9. संघर्ष पिता से सीखे, संस्कार माँ से सीखे,
बाकी सब कुछ दुनिया सिखा देगी...
10. फिर यूँ हुआ कि जब भी जरुरत पड़ी मुझे,
हर शख्स इत्तफाक से मजबूर हो गया...
11. उसे छुआ तो दिसम्बर में प्यास लगने लगी,
कि उसके ज़िस्म का मौसम तो जून जैसा है...
12. आज लफ्जों को मैने शाम की चाय पे बुलाया है,
बन गयी बात तो ग़ज़ल भी हो सकती है...
13. इश्क में मायने कुछ ऐसे बदल जाते हैं,
हम तेरे होठों को भी छूने से जल जाते हैं...