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चील-कव्वों के साथ उड़ा बचपनचील-कव्वों के साथ उड़ा बचपन

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1. सुब्ह-सवेरे टाइम पर ही आ जाता हूँ मैं स्कूल,
हर दिन अपना काम हूँ करता कभी न करता इस में भूल.
सब बच्चों से प्यार हूँ करता ये है मेरा एक उसूल,
अच्छा बच्चा कहते मुझ को मैं हूँ सब की आँख का फूल.

 

2. चले आओ कभी टूटी हुई चूड़ी के टुकड़े से,
वो बचपन की तरह फिर से मोहब्बत नाप लेते हैं.

 

3. "चील उड़ी" "कौआ उड़ा",
बचपन भी कहीं उड़ ही गया.

 

4. बचपन में जहां चाहा हंस लेते थे जहां चाहा रो लेते थे,
पर अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए और आंसूओं को तनहाई.

 

5. किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश,
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की.

 

6. अजीब सौदागर है ये वक़्त भी,
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया.

 

7. आते जाते रहा कर ए दर्द,
तू तो मेरा बचपन का साथी है.

 

8. हंसने की भी, वजह ढूँढनी पड़ती है अब,
शायद मेरा बचपन, खत्म होने को है.

 

9. खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखना,
बचपन में ही मर जाऊ ऐसी जिंदगानी लिखना.

 

10. कितने खुबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन,
सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी.

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