
1. आते ही जो तुम मेरे गले लग गए वल्लाह,
उस वक़्त तो इस गर्मी ने सब मात की गर्मी.
2. बहुत कम बोलना अब कर दिया है,
कई मौक़ों पे ग़ुस्सा भी पिया है.
3. बंद आँखें करूँ और ख़्वाब तुम्हारे देखूँ,
तपती गर्मी में भी वादी के नज़ारे देखूँ.
4. धूप की गरमी से ईंटें पक गईं फल पक गए,
इक हमारा जिस्म था अख़्तर जो कच्चा रह गया.
5. दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिए,
वो तिरा कोठे पे नंगे पाँव आना याद है.
6. गर्मी बहुत है आज खुला रख मकान को,
उस की गली से रात को पुर्वाई आएगी.
7. गर्मी बहुत है आज खुला रख मकान को,
उस की गली से रात को पुर्वाई आएगी.
8. गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गए,
सर्दी लगी तो ख़ुद को दोबारा पहन लिया.
9. गर्मी में तेरे कूचा-नशीनों के वास्ते,
पंखे हैं क़ुदसियों के परों के बहिश्त में.
10. गर्मी ने कुछ आग और भी सीने में लगाई,
हर तौर ग़रज़ आप से मिलना ही कम अच्छा.
11. गर्मी सी ये गर्मी है,
माँग रहे हैं लोग पनाह.
12. पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख आबले 'अकबर',
पढ़ कर जो कोई फूँक दे अप्रैल मई जून.
13. फिर वही लम्बी दो-पहरें हैं फिर वही दिल की हालत है,
बाहर कितना सन्नाटा है अंदर कितनी वहशत है.
14. पिघलते देख के सूरज की गर्मी,
अभी मासूम किरनें रो गई हैं.