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तन्हाइयों से भरी शायरियांतन्हाइयों से भरी शायरियां

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1. चाँदनी बन के बरसने लगती हैं,
तेरी यादें मुझ पर, 
बड़ा ही दिलकश मेरी,
तनहाइयों का मंज़र होता है.


2. ये शाम बहुत तनहा है मिलने की भी तलब है, 
पर दिल की सदाओं में वो ताकत ही कहाँ है, 
कोशिश भी बहुत की और भरोसा भी बहुत था, 
मिल जायें बिछड़ कर वो किस्मत की कहाँ है.


3. लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक, 
इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक.


​​​​4. दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला, 
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला, 
तेरे होते हुए आ जाती थी दुनिया सारी, 
आज तनहा हूँ तो कोई नहीं आने वाला.


5. जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने, 
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं.


6. सच कहूँ तो मुझे एहसान बुरा लगता है, 
जुल्म सहता हुआ इंसान बुरा लगता है, 
कितनी मसरुक हो गयी है ये दुनिया, 
एक दिन ठहरे तो मेहमान बुरा लगता है.


7. ताल्लुक़ टूट कर बाद में जो कुछ भी रह गये, 
मगर मोहब्बत में वो पहला मुस्कुराना हमेशा याद आता है.


8. निकले हम दुनिया की भीड़ में तो पता चला, 
कि हर वो शख्स अकेला है जो दूसरों पर भरोसा करता है.


9. न जाने ये कैसी उम्मीद जगी है, 
न जाने कब उसने दिल पे दस्तक दे दी है, 
ऐ खुदा बस एक दुआ है तुझसे, 
अगर वो है मेरी सच्ची मोहब्बत, 
तो रहे हमेशा साथ मेरे... 
.
कुछ अपने दिल वो बताये, 
कुछ अपने दिल की हम सुनाएं, 
यूं ही साथ उमर कट जाए,
है आरज़ू यही कि,
कभी जुदा न हम हों पाएं.

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