
1. आईनों को ज़ंग लगा,
अब मैं कैसा लगता हूँ.
2. आज बहुत दिन ब'अद मैं अपने कमरे तक आ निकला था,
जूँ ही दरवाज़ा खोला है उस की ख़ुश्बू आई है.
3. आज मुझ को बहुत बुरा कह कर,
आप ने नाम तो लिया मेरा.
4. आख़िरी बात तुम से कहना है,
याद रखना न तुम कहा मेरा.
5. अब जो रिश्तों में बँधा हूँ तो खुला है मुझ पर,
कब परिंद उड़ नहीं पाते हैं परों के होते.
6. अब ख़ाक उड़ रही है यहाँ इंतिज़ार की,
ऐ दिल ये बाम-ओ-दर किसी जान-ए-जहाँ के थे.
7. अब कि जब जानाना तुम को है सभी पर ए'तिबार,
अब तुम्हें जानाना मुझ पर ए'तिबार आया तो क्या.
8. अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं,
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या.
9. अब नहीं मिलेंगे हम कूचा-ए-तमन्ना में,
कूचा-ए-तमन्ना में अब नहीं मिलेंगे हम.
10. अब तो हर बात याद रहती है,
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया.
11. अब तो उस के बारे में तुम जो चाहो वो कह डालो,
वो अंगड़ाई मेरे कमरे तक तो बड़ी रूहानी थी.
12. अब तुम कभी न आओगे यानी कभी कभी,
रुख़्सत करो मुझे कोई वादा किए बग़ैर.
13. अपना रिश्ता ज़मीं से ही रक्खो,
कुछ नहीं आसमान में रक्खा.
14. अपने अंदर हँसता हूँ मैं और बहुत शरमाता हूँ,
ख़ून भी थूका सच-मुच थूका और ये सब चालाकी थी.
15. अपने सब यार काम कर रहे हैं,
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं.
स्टूडेंट और मास्टरजी (पार्ट - 2)