
ग़ज़लों की माँ हो तुम...
तुम हमेशा पूछती थी ना,कि क्या हो तुम
तो सुनो मेरी ग़ज़लों की माँ हो तुम
और बता कितना कैसे चाहूं
जबकि मेरा सारा जहां हो तुम ।
बात मानो, खुदी में खुश रहना तुम,
आज भी मेरी खुशियों का ज़रिया हो तुम
अब खत्म करता हूँ शुरू से
मेरे इजहार की हाँ हो तुम।
-कान्हा