
यौन सम्बन्ध बनाने से पहले हर किसी को सेक्स के लिए जागरूक होना बहुत जरुरी है अगर आपमें यौन के बारे में जागरूकता नहीं है तो कल आपके लिए महंगा और खतरनाक साबित हो सकता है. दरअसल हम बात कर रह हैं यौन संचारित रोग यानी एसटीडीज बहुत ही खतरनाक संक्रामक बीमारियां हैं. ज्यादातर यौन संचारित रोगों के लिए सेक्स संबंध ही जिम्मेदार होते हैं. आइये जानते हैं इस बारे में ...
एचआईवी
एचआईवी का पूरा नाम है ह्यूमन इम्यूनोडेफिसिएन्सी वायरस और इसके कारण एड्स होता है. यह ऐसा यौन संचारित रोग है जो रोगी के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देता है और इम्यून सिस्टम को इतना अधिक नुकसान पहुंचा देता है कि व्यक्ति दूसरे संक्रमण से निपटने में असमर्थ हो जाता है.एचआईवी संक्रमण की अंतिम अवस्था में ही एड्स होता है. इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण असुरक्षित तरीके से यौन संबंध बनाना है.
गोनोरिया
बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण यह इस यौन संक्रामक बीमारी शरीर में फैलती है, निसेरिया गोनोरीए नामक बैक्टीरिया इसके लिए जिम्मेदार है, यह बहुत तेजी से फैलता है.यह रोगी के गले, मूत्र नली, योनि और गुदा को संक्रमित कर सकता है. .नए साथी के साथ यौन संबंध बनाने से या एक से अधिक लोगों के साथ सेक्स करने से गोनोरिया होने का जोखिम बढ़ जाता है. असुरक्षित यौन, गुदा या मुख मैथुन करने से गोनोरिया हो सकता है.कुछ मामलों में गोनोरिया, महिलाओं से उनके बच्चों को भी हो सकता है.
क्लैमिडिया
क्लैमिडिया ट्रैकोमेटिस नामक जीवाणु से होने वाला संक्रमण है, जो व्यक्ति की मूत्रनली यानी यूरेथ्रा, योनि या गर्भग्रीवा के आस-पास के क्षेत्र, गुदा या आंखों को संक्रमित करता है. इसके कारण महिला को बांझपन की शिकायत हो सकती है.योनि से अधिक स्राव, योनि से पीला, चिपचिपा, मवाद जैसा स्राव होना, पेशाब करते समय दर्द होना, अधिक पेशाब आना और सेक्स करते समय दर्द होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.असुरक्षित यौन संबंध बनाने से, ओरल सेक्स करने से यह बीमारी होती है.यह बीमारी मां से उनके बच्चे को भी हो सकती है.
सिफि़लिस
ट्रिपोनीमा पैलीडियम नामक जीवाणु से सिफिलिस होता है.इसे ग्रेट इमीटेटर भी कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षणों को दूसरी यौन संचारित रोगों से अलग पहचान करना मुश्किल है. सिफि़लिस का इलाज आसानी से किया जा सकता है.लेकिन इससे ग्रस्त अधिकांश व्यक्तियों को पता नहीं चल पाता कि उन्हें सिफि़लिस हो गया है.यह बीमारी असुरक्षित मुख, योनि या गुदा मैथुन करने से होती है.
वाटर वार्ट्स
मोलस्कम कान्टेजिओसम नामक विषाणु इसके लिए जिम्मेदार है.यह एक आम विषाणु संक्रमण है जो त्वचा को प्रभावित करता है. इस संक्रमण में त्वचा पर द्रव या पानी से भरे फफोले निकल आते हैं.आमतौर पर पानी वाले छाले स्वत: ठीक हो जाते हैं.यह बीमारी त्वचा के किसी दूसरे की त्वचा से सीधे संपर्क में आने पर हो सकती है.इसके अलावा किसी संक्रमित व्यक्ति के तौलिए का प्रयोग करने, साथ नहाने या कपड़े पहनने से भी इस बीमारी के होने की संभावना रहती है.
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