
आज भी लोगों के दिमाग में सेक्स के लिए सबसे पहले ये आता हैं कि फर्स्ट टाइम सेक्स पर महिला को ब्लीडिंग यानी खून आता है, हालांकि ऐसा जरुरी नहीं हैं. कई बार ऐसा भी हुआ हैं कि अगर फर्स्ट टाइम सेक्स में ब्लड नहीं आता हैं तो रिश्तो में दरार भी आ जाती हैं. बता दे कि पहली बार सेक्स के दौरान ब्लीडिंग होना हाइमन या योनिच्छद के संरचना (structure) पर निर्भर करता है.
हाइमन एक बहुत ही नाजुक टिशु होता है जो लड़कियों में जन्म से रहता है. इसलिए पहली बार सेक्स के दौरान ब्लीडिंग होना कोई ज़रूरी नहीं है और इस बात पर वर्जिनिटी का निर्णय करना पूरी तरह से गलत है, ब्लीडिंग न होना नॉर्मल है. बताया गया हैं कि पहले सम्भोग में खून तभी निकलेगा यदि हाइमन हो, यदि किसी कारणवश हाइमन पहले से ही फट गई है जैसे की एक्सरसाइज़ से, तो जरुरी नहीं है की ब्लीडिंग होगी.
समाज की सोच के अनुसार बात करे तो ऐसा माना जाता हैं फर्स्ट टाइम ब्लीडिंग होना वर्जिनिटी की निशानी है. लोगों का मानना हैं कि अगर ब्लीडिंग नहीं हुई तो लड़की वर्जिन नहीं है. लेकिन मन में ऐसी धारणा बनाना एक दम गलत हैं. पहले सेक्स में ब्लीडिंग होना या नहीं होना, दोनों ही सामान्य हैं. इसलिए आप किसी के चरित्र के बारे में कुछ नहीं बोल सकते. ऐसा कोई ज़रूरी नहीं है और यह किसी के चरित्र का प्रमाण भी नहीं है.
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