
अक्सर ही दुनियाभर में ना जाने कितने ही लोग है जो ट्रैन से सफर करते हैं. कई लोग साल में एक बार ट्रैन से सफर करते हैं तो कई लोग ऐसे हैं जो हर दिन ट्रैन से सफर करते हैं. ट्रैन से सफर के दौरान आप सभी ने एक बात जरूर नोटिस की होगी और वह बात यह है कि ट्रैन स्टेशन पर रुकने से पहले अक्सर ही आउटर पर रोक दी जाती है और कई बार इस बात पर हमे बहुत गुस्सा भी आता है लेकिन क्या कभी इसके पीछे की वजह जानने की कोशिश की है..? अगर की हैं तो आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर क्यों रोक दी जाती है ट्रैन आउटर पर. दरअसल में ट्रैन को आउटर पर रोकने के लिए ड्राइवर को खरी-खोटी नहीं सुनना चाहिए क्योंकि इसमें उसकी गलती नहीं होती हैं.
दरअसल में ट्रैक की कमी और बढ़ती हुई ट्रैन की वजह से ट्रैन अक्सर लेट हो जाती हैं जैसे उदाहरण के लिए एक ट्रैन प्लेटफॉर्म नंबर एक पर आने वाली हैं वहीं दूसरी ट्रैन भी प्लेटफॉर्म नंबर एक पर ही खड़ी है तो दोनों ट्रैन को अब एक ही प्लेटफॉर्म का उपयोग करना है तो किसी एक तो आउटर पर रुकना ही पड़ेगा. इसी के साथ एक कारण यह भी है कि भारत रेल के डीजल इंजन का एवरेज गाडी के लोड के मुताबिक़ ही दिया जाता है. रेल में तीन डीजल टंकी होती हैं जिनमे एक 5000 लीटर की, दूसरी 5500 लीटर की और तीसरी 6000 लीटर की होती हैं. गाडी में जितना लोड होता है उससे कम तो ट्रैन एवरेज देती है इस वजह से कई बार ट्रैन को आउटर पर रोक दिया जाता है.
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