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सूखे की मार से बचा रहीं ट्यूबवेल चाचीसूखे की मार से बचा रहीं ट्यूबवेल चाची

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मध्यप्रदेश के बुंदेलखण्ड में पांच साल से सूखा पड़ रहा है। यहां पर लोग पीने के पानी के लिए भी तरस रहे हैं। बुंदेलखण्ड में पानी के स्रोत सूख चुके हैं और हैंडपंप भी जवाब देने लगे हैं। ऐसे में बुंदेलखण्ड के लोगों की मदद के लिए ट्यूबवेल चाची आगे आई हैं। दरअसल, यह आदिवासी महिलाओं का एक समूह है, जो पानी के लिए तरसते लोगों की मदद कर रहा है। 

जानकारी के अनुसार, इस समूह की महिलाएं सुबह अपने घर का काम खत्म करने के बाद हथौड़ा और रिंच लेकर निकल पड़ती हैं। एक गांव से दूसरे गांव जाकर यह महिलाएं खराब पड़े हैंडपंप को सुधार नहीं है, ताकि गांव वालों को पानी के लिए तरसना न पड़े। यह महिलाएं छतरपुर जिले से संबंधित हैं। इस समूह में 15 महिलाएं हैं।  जानकारी के अनुसार, कभी—कभी यह महिलाएं 50 किमी दूर स्थित गांवों में भी हैंडपंप और ट्यूबवेल सुधारने जाती हैं। इन महिलाओं का जुझारूपन इस कदर है कि ये महिलाएं तेज धूप को भी अपने काम के बीच में नहीं आने देतीं और  लोगों की मदद के लिए चल पड़ती हैं। लोग इन्हें ट्यूबवेल चाची के नाम से जानते हैं। 

इस समूह के सदस्यों का कहना है कि हम  लोगों की मदद करना चाहते हैं। पानी की कमी से जूझ रहा हमारे क्षेत्र में हैंडपंप ही एक मात्र सहारा हैं। अब अगर ये हैंडपंप खराब हो जाते हैं, तो गांव के लोगों खासकर महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जैसे ही हमें पता चलता है कि कहीं हैंडपंप खराब है, हम वहां पहुंच जाते हैं। अभी तक यह  समूह 100 से ज्यादा ट्यूबवेल और हैंडपंप सुधार चुका है। 

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