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जूतों को लेकर अलग अलग देशों में यह अन्धविश्वास प्रचलित हैजूतों को लेकर अलग अलग देशों में यह अन्धविश्वास प्रचलित है

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वैसे तो जूते पांव में पहनने वाली एक निकृष्ट वस्तु है लेकिन भारत में ही नहीं, विदेशों में भी इन्हें लेकर तरह-तरह के अंधविश्वास व्याप्त हैं। इन अंधविश्वासों से पढ़े-लिखे लोग भी अछूते नहीं हैं। जूते पहनने के लिए होते हैं, लटकाने के लिए नहीं। लेकिन दुनिया के कई देशों में बिजली के तारों, ट्रेफिक लाइट्स बिजली के खंबों, पूलों पर जूतों की जोड़ियां लटकी हुई देखी जा सकती हैं। कनाडा, अर्जेन्टीना, ब्रिटेन, आस्ट्रिया और न्यूजीलैंड में ये दृश्य दिखाई देना आम बात है।

जर्मनी में तो रास्ते के किनारे बिजली के तारों पर जूते लटके होना सामान्य बात है। बर्लिन के अलावा लाइप्सिग, हैम्बर्ग, कोलोन, म्यूलिख और देश के दक्षिणी छोर के लेक कॉन्सटेंस में भी सड़कों के किनारे जूते लटके दिखाई दे जाते हैं। बिजली के तारों या पेड़ों पर जूते टांगना एक कौतूहल का विषय भले ही हो पर यह कई समस्याओं को जन्म देता है। बर्लिन क्रॉएत्सबुर्ग के अधिकारी के अनुसार जो भी केबल, बिजली के तारों और पेड़ों पर जूते टांगता रहा है, वह अपराध करता है। जो इसमें पकड़ा जाएगा, उसे 35 थूरो दंड के तौर पर देने होंगे। हालांकि जो जूते जहां लटके हैं, वे वहीं लटके रहेंगे। जूतों के प्रति अंधविश्वास के लिए कोई न कोई कहानी गढ़ ली गई है।

सबसे पुरानी कहानी स्कॉटलैंड से आती है जहां घर के बाहर लटकते हुए जूतों का मतलब होता था कि उस घर में किसी लड़की का कौमार्य भंग हो गया है। अमेरिकी मूल की कहानियों के मुताबिक परीक्षा पास करने के प्रतीक के रूप में स्कूली बच्चे जूते लटका देते हैं। एक कहानी यह भी है कि सैनिक सेवा खत्म होने के बाद जूते टांग दिए जाते हैं।

अमेरिका में कई जगहों पर जूते से भरे पेड़ नजर आते हैं। पेड़ पर जूते लटकाने की कहानी अमेरिका के मशहूर शू ट्री से शुरू होती है। जहां नेवादा के एक खाली से राजमार्ग नंबर 50 पर एक पेड़ पर सैकड़ों जोड़ी जूते लटके हुए हैं। कहानी 1990 के दशक की है, जब एक दंपत्ति ने शादी के बाद घर लौटते हुए झगड़ा किया और दूल्हे ने पत्नी के जूते पेड़ पर फेंक दिए। लेकिन, वे दोनों फिर पेड़ से जूते नहीं उतार पाए। उन दोनों ने आराम से बैठकर अपने सारे विवाद भी सुलझा लिए। एक अन्य कहानी के अनुसार गली के गैंग्स और ड्रग्स बेचने वाले अपना इलाका दिखाने के लिए जूते लटकाते हैं। भले ही यह परंपरा या अंधविश्वास कहां से भी आया हो लेकिन यह फिलहाल हॉलीवुड की फिल्म ''वैग द डॉग'' में देखा जा सकता है।

भारत में भी नए बनते घरों पर टोटके के तौर पर जूता लटकाया जाता है ताकि किसी की नजर नहीं लगे। ट्रकों के पीछे भी नीचे के तरफ एक पुराना जूता लटकाया जाता है। संभवत: इसका उद्देश्य भी पीछे से आ रहे वाहन की बुरी नजर से अपने ट्रक को बचाना है। घर में यदि जूता उल्टा पड़ा हो तो उसे अशुभ माना जाता है। अशंका व्यक्त की जाती है कि जूता उल्टा होने से आपस में लड़ाई-झगड़ा पैदा होगा। इसलिए उल्टे पेड़ जूते को तत्काल सीधा किया जाता है। कुछ लोगों की मान्यता है कि मंदिर से जूते चोरी जाना शुभ है। जो चीज खो गई हो या चुरा ली गई हो, उससे शुभ कैसे हो सकता है? आजकल जूते बड़े महंगे आते हैं। उन्हें खो जाने का दुख होता है और चुराने वाले के प्रति गाली ही निकलती है। शादी ब्याह में वधू पक्ष की लड़कियां दूल्हे के जूते चुराकर छिपा देती हैं। यह एक प्रकार की रस्म होती है जो किसी अंधविश्वास से कम नहीं। मुंह मांगी राशि देने पर ही दूल्हे को जूते वापस मिलते हैं।


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