
1. मत कर गुरूर खुद के वजूद पर इक दिन न इसका नाम-ओ-निशां होगा,
कितना भी भाग लो मौत से लेकिन सफ़र-ए-जिंदगी का यही आखिरी मुकाम होगा.
2. मंजिल बड़ी हो तो सफ़र में कारवां छूट जाता है,
मिलता है मुकाम तो सबका वहम टूट जाता है.
3. सफ़र-ए- जिंदगी का तू अकेला ही मुसाफिर है,
बेगाने हैं ये सब जो अपनापन जताते हैं.
छोड़ जाएँगे ये साथ इक दिन तेरा राहों में,
वो जा आज खुद को तेरा हमसफ़र बताते हैं.
4. सफ़र-ए-जिंदगी में ग़मों की आंधियां भी जरूरी हैं,
खुदा की रहमतों का वरना यारों वजूद क्या होगा?
5. तेरी जिंदगी की असलियत का जब तुझ पर असर होगा,
असल में उस समय ही शुरू तेरे जीने का सफ़र होगा.
6. न मंजिल ही मिलती है न कारवां ही मिलता है,
जिंदगी के इस सफ़र में न खुशियों का जहाँ मिलता है.
7. न परेशानियां, न हालात न ही कोई रोग है,
जिन्होंने हमें सताया है और कोई नहीं वो झूठे लोग हैं।
8. झूठे लोगों की दुनिया में सच्चाई की कीमत कौन जानेगा,
टूट कर बिखर जाएगा जो इनसे उलझने कि ठानेगा.
भलाई है दूर रहें ऐसे लोगों से जो अच्छाई का नाटक करते हैं,
धकेल देंगे ये बुरे दौर अँधेरे में जो गिरेगा निकल न पाएगा.