
पिता हु इतना की मदहोश रहता हुँ।
समझता सब हु मर खामोश रहता हूँ।
अपने ही गिराने की करते है साजिश।
आज कल में उन्ही के साथ पिता हुँ।
अक्सर में दुःख में भी मुस्कुराता हुँ।
इश्क है फिर भी सब से छुपाता हूँ ।
कहते है इश्क में रातो को नींद नहीं आती,
पर इश्क तो वाही होता है जो,
रातो को भी नींद से जागना इश्क होता।